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Aatma Ki Aankhen : Dinkar Granthmala
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Aatma Ki Aankhen : Dinkar Granthmala

by Ramdhari Singh Dinkar
4.8
4.8 out of 5

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Creators
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis 'आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी. एच. लारेंस की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। डी.एच. लारेंस की कविताओं के अनुवाद के पीछे जो मुख्य बातें थीं, उनके बारे में खुद दिनकर जी का कहना है कि, ‘इन सभी कविताओं की भाषा बुनियादी हिन्दी है। लारेंस की जिन कविताओं पर ये कविताएँ तैयार हुई हैं, उनकी भाषा भी मुझे बुनियादी अंग्रेजी के समान दिखाई पड़ी–सरल, मुहावरेदार, चलतू और पुरजोर जिसमें बनावट का नाम भी नहीं है। कविताओं की भाषा गढ़ने के लिए लारेंस छेनी और हथौड़ी का प्रयोग नहीं करते थे। जैसे जिन्दगी वे उसे मानते थे जो हमारी सभ्यतावाली पोशाक के भीतर बहती है। उसी तरह, भाषा उन्हें वह पसन्द थी जो बोलचाल से उछलकर कलम पर आ बैठती है। बुद्धि को वे बराबर शंका से देखते रहे और कला में पच्चीकारी का काम उन्हें नापसन्द था। मैंने खासकर उन्हीं कविताओं को चुना है जो भारतीय चेतना के काफी आस-पास चक्कर काटती हैं।’ इस तरह देखें तो ‘आत्मा की आँखें’ नए आस्वाद और सहज सम्प्रेष्य कविताओं का एक अनूठा संकलन है।

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Binding: HardBack
About the author रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितंबर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74 वाँ स्थान दिया गया रचनाएँ:- अमृत मंथन, अर्धनारीश्वर, भग्न वीणा, चिंतन के आयाम, धुप छांह, दिनकर रचनावली (Vol . 1-4), द्वन्द्वगीत, हुंकार, कवि और कविता, कविता और सुध कविता, कविता की पुकार, काव्य की भूमिका, मिट्टी की ओर, नए शुभाषित, नील कुसुम, पंडित नेहरु और अन्य महापुरुष, पन्त, प्रसाद और मैथेलिशरण, परशुराम की प्रतीक्षा, , रश्मिरथी, रश्मिमाला, रसवन्ती, रेणुका, साहित्य और समाज, सामानांतर, स्म्र्नाजंली, संस्कृति भाषा और राष्ट्र, संस्कृति के चार अध्याय, सपनों का धुँआ, श्री अरविंद: मेरी द्रष्टि में , उजली आग, उर्वर्शी, व्यक्तिगत निबंध और डायरी |
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 160
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9789389243901
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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