Synopsisहिन्दू इतने रूढ़िवादी क्यों हैं? वे मूर्तिपूजा क्यों करते हैं? क्या हिन्दू हमेशा से जातिवादी थे? क्या हिन्दुओं को शाकाहारी माना जाता है? हिन्दुओं की प्रार्थना मुस्लिमों की नमाज या ईसाईयों की प्रेयर से क्यों भिन्न है? क्या हज़ारों साल पहले आये मुस्लिम हमलावरों ने हिन्दू संस्कृति को नष्ट किया? हिन्दू दर्शन और उससे जुड़े भारतीय साहित्य के इन मुख्य सवालों के जवाब देवदत्त पट्टनायक ने अपनी नई किताब में आसान, स्पष्ट और रोचक माध्यम से दिए हैं। उन्होंने हिन्दू धर्म के जटिल तत्वों को सुलझाकर रख दिया है। 'आस्था' बहुत से जिज्ञासु पाठकों को दुनिया में सबसे ज़्यादा प्रचलित हिन्दू धर्म के कई नए पहलुओं से अवगत कराएगी।