Synopsisफ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की इस पुस्तक का सम्पादन किया है शहरयार और नक़वी ने। पुस्तक गज़लों का संग्रह है जिसमे फ़ैज़ ज़िंदगी से जुड़ी तमाम तरह की दुख-दुविधा से पाठक को रू-ब-रू कराते हुए चलते हैं। फ़ैज़ का जीवन जिन मुसकालतों से होकर गुज़रा था वो सारे मोड यहा साफ नज़र आते हैं। इन गज़लों में तन्हाई,मोहब्बत,दिल का दर्द,मजबूरी,से होकर गुजरती ऐसे कई अफसाने है जो पाठकों को अपनी ओर बुलाते और बतियाते हैं।
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About the author
फै़ज़ अहमद फ़ैज़ उर्दू शायरी के एक ऐसे अजीमुश्शान शायर हैं जिन्होंने अपनी शायरी को अपने लहू की आग में तपाकर अवाम के दिलो-दिमाग़ तक ले गए और कुछ ऐसे अन्दाज़ में कि वह दुनिया के तमाम मजलूमों की आवाज़ बन गई। उनकी शायरी की ख़ास पहचान है - रोमानी तेवर में खालिस इंक़लाबी बात! यही कारण है कि ग़ालिब और इक़बाल के बाद जितनी शोहरत फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को मिली उतनी शायद किसी अन्य शायर को नहीं। फ़ैज़ मूलतः पाकिस्तान के थे किन्तु प्रगतिशील जीवन-दृष्टि के कारण उन्होंने देश की सीमा ही नहीं, भाषा, जाति और धर्म की भी मानवता के आगे कभी परवाह नहीं की। वे भारत में वैसे ही पसन्द किए जाते थे जैसे कि पाकिस्तान में उनकी शायरी मानवीयता, सामाजिकता और राजनीतिक सच्चाइयों का पर्याय है।