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Home Nonfiction Reference Work Aadhunik Geetikavya
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Aadhunik Geetikavya
by Dr.Umashankar Tiwari
4.7
4.7 out of 5
Creators
AuthorDr.Umashankar Tiwari
PublisherVani Prakashan
Synopsisआदिम युग की आदिम जड़ताओं से मुक्त होने के बाद आर्यों की ऐहिक और आमुष्मिक-सभी प्रकार की आशा-आकांक्षाओं, राग-विरागों, लोकोत्तर ऐषणाओं एवं लोकेषणाओं की अभिव्यंजना वैदिक ऋचाओं में दिखलाई पड़ती है। वह आर्य जाति की प्राकृतिक शक्तियों की पूजा-उपासना, भक्ति और आत्म निवेदन के भीतर से उठते हुए भारतीय देव-विज्ञान का प्रथम सोपान है। सुप्रसिद्ध नवगीतकार, विद्वान और आलोचक उमाशंकर तिवारी ने प्रस्तुत ग्रन्थ ‘आधुनिक हिन्दी गीतिकाव्य’ के प्ररम्बिक अद्यायोंमें वैदिक गीतिकाव्य की सूक्ष्म मीमांसा की है। प्रस्तुत शोध-प्रबंध की एक बड़ी विशेषता यह है कि कालक्रम के साथ बदलती युगीन परिस्थितियों के विवेचन में उमाशंकर तिवारी ने सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का विवेचन बड़े प्रगतिशील ढंग से किया है। भारतीय इतिहास के प्रागैतिहासिक काल से आठवीं शताब्दी तक के काल को विकासोन्मुख सामन्त काल मानना, उसके बाद से आधुनिक काल के प्रारंभ के पूर्व तक के काल को ‘ह्रासोन्मुख सामन्त युग’ कानना एक प्रकार की सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि का ही परिचायक है। निश्चित रूप से यह शोध-प्रबंध विवेचन की इस नई दृष्टि के कारण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।