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Man Ke Bhanwarby Daya prakash sinha |
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Author | Synopsis |
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एक मनोचिकित्सक जो स्वयं मनोरोगी है यह नाटक अतिनाटकीय कथानक द्वारा मनोजगत का मनोवैज्ञानिक रंगमंच पर सफलतापूर्वक मंचस्थ नाटक है। नाटक में सर्वथा नवीन विश्लेषण हिन्दी ‘मन के भँवर’का कला पक्ष भी उतना ही सबल है, जितना साहित्य पक्ष। हिन्दी नाट्य लेखन के लिए केंद्रीय संगीत नाटक आकदमी, नयी दिल्ली, द्वारा ‘अकादमी अवार्ड’ से भूषित, तथा ‘कथा एक कंस की’, ‘इतिहास चक्र’, ‘सीढ़ियाँ’, ‘अपने अपने दाँव’, जैसे सफल नाटकों के रचयिता दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सर्जित नाटक ‘मन के भँवर’ कथानक की नवीनता और नाटकीयता के लिए अद्वितीय है। नाटक का यह कथानक सार्वकालिक है, जो समय के साथ पुराना नहीं पड़ता। यही नाटक की सफलता का रहस्य है, जो उसे दीर्घजीवी बनाता है। अतः यह नाटक पाठक को लीक से हटकर सोचने को मजबूर करता है।
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