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Patton Par Paazebby Avnish kumar |
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Author | Synopsis |
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अवनीश कुमार के लिए कविता न तो उच्छ्वास है और न अदाकारी। इस तरह की लोकप्रिय शायरी आजकल बहुत की जा रही है। लेकिन जब उसका झाग बैठ जाता है, तो कोई ठोस चीज़ हाथ नहीं आती। अवनीश कुमार इस चलताऊ माहौल के रचनाकार नहीं हैं यद्यपि उनकी हर ग़ज़ल पहले मिसरे से ही हमें बाँध लेती है और आखिरी शे’र तक पहुँचते-पहुँचते हमारे एहसास की दुनिया एकदम बदल जाती है। अवनीश के शब्दों में, ‘रंग वही हैं जो कायनात ने दिये हैं, तमाम कोशिशों के बाद भी तस्वीर मुक़म्मल नहीं होती, फिर नयी कोशिश होती है। यह किताब भी ऐसी कोशिश है...
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