Synopsisपिछले छः-सात सालों में हिंदी साहित्य की तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशित होती अपनी नए अंदाज़ की ग़ज़लों से गौतम राजऋषि ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। ये ख़ास उनकी सिग्नेचर स्टाइल की ग़ज़लें है जिसमें कहीं चाँद सिगरेट पीता है तो कहीं धूप शावर में नहाती है। कहीं ठंडी होती कॉफ़ी के इंतज़ार में कोई कैडबरी चॉकलेट अपने रैपर के अंदर पिघलती है तो कहीं कोई येल्लो पोल्का डॉट्स वाली कमसिन पूरे मौसम को चितकबरा करती है। ग़ज़लों की ये इमेजरी मॉडर्न है और एक अलहदा कल्चर बुनती है अपने रीडर्स के इर्द-गिर्द। गौतम की मिसाल शौर्य से शायरी तक उठती है और एक नया आसमान बनाती है। कश्मीर की बर्फ़ीली सरहदों पर बुनी गई इन ग़ज़लों में कर्नल गौतम का निशाना अचूक है कि हर मिसरा दिल के सबसे नाज़ुक कोने में जाकर लगता है। कुछ यूँ कि किसी कोने से टीस उठे तो किसी से खिलखिलाहट।
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Binding: PaperBack
About the author
गौतम राजऋषि भारतीय सेना में कर्नल हैं। उनकी अभी तक अधिकांश पोस्टिंग कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त इलाकों और बर्फ़ीली ऊँचाइयों पर ‘लाइन आॅफ कंट्रोल’ पर हुई है। उन्होंने दुश्मनों के साथ कई मुठभेड़ों का डटकर सामना किया और एक बार तो गम्भीर रूप से घायल भी हुए। ‘पराक्रम पदक’ और ‘सेना मैडल’ से सम्मानित कर्नल गौतम राजऋषि की राइफ़ल के अचूक निशाने की तरह ही उनकी कलम भी अपना प्रभाव छोड़ती है। एक तरफ़ जहाँ वे अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, वहीं जो भी फ़ुरसत की घड़ियाँ मिलती हैं, उनमें कलम उठा लेते हैं।