Synopsisमेरे सामान्य और आध्यात्मिक भाव मेरे मानस पटल पर अटखेलियाँ करते रहे हैं और उनमें से कुछ निस्पृह चेतना की अंगुली पकड़ कर भोली रेखाओं में अनुभूतियों की सहज अभिव्यक्तियां बन गद्यात्मक लहर में कागज़ पर उतर आए हैं। उनमें मेरे पुण्य स्मरण भी हैं, द्वंद्व और दुविधा के मंथन भी हैं, मेरे निष्ठ संकल्प स्वर भी हैं और मन बोलती कथाएँ भीहैं।
- ज्योति वर्मा
भाव बिना जीवन क्या? भाव जीवन के स्पंदन हैं; अभिन्न अंग हैं। भाव बिना जीवन केवल यांत्रिक। भाव परिस्थितियों पर, विशेषकर मन:स्थितियों पर अवलंबित होने के कारण शाश्वत न होने पर भी जीवन के रंग और आभा बन जाते हैं; जीवन के दिशा बोधक भी बन जाते हैं। रचनावली में 400 से अधिक कविता सादृश्य बंदिशें संकलित हो गई हैं। उनमें से चुनी गईं ये कुछ मुक्त कविताएं और अर्द्ध लयात्मक कविता शैली में अंकित हुए रचना पद सुधि और मनीषी पाठकों से स्वयं संवाद करेंगे और अपनी सार्थकता के सोपान पर चढ़ेंगे।
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Binding: PaperBack
About the author
हरियाणा राज्य के कविता संकुल में एक विशिष्ठ पहचान के साथ उभरता एक नाम है श्रीमती ज्योति वर्मा जो जीवन के बिलकुल आस पास के विषयों पर आध्यात्मिक चैतन्य के साथ मुक्त कविताओं की रचनाओं से आचरण का सन्देश देती है|
एक सुघड़ गृहणी और आध्यात्मिक साधक होने के साथ साथ एक शिक्षाविद और युवाओं के सर्वांगीण विकास के प्रकल्पों में सर्वदा संलग्न ज्योति समय की वीथियाँ ढूंढ कर मन के सत्प्रेरक उन्मेष पृष्ठ पर भी उतारती रही हैं| इस संकलन में उनकी “मेरे मन की बात” में यह बात वे स्पष्ट कहती हैं और यही उनकी विशिष्टता का प्रमाण है|
इनकी रचनाएं विस्तीर्ण पैमाने पर डिजिटल पटल स्तंभों और साझा कविता संकलनों (यथा “अनभूति के स्वर” और “माँ तुझे सलाम”) में सम्मिलित और विविध काव्य मंचों से प्रसारित होती रही हैं तथा साहित्य-सुधियों द्वारा सराही गई हैं| इनका संपर्क सन्दर्भ संकलन में इनके कथ्य में उल्लिखित है|