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Home Literature Short Stories Saat Samandar Paar
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Saat Samandar Paar
by Saraswati Prasad
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorSaraswati Prasad
PublisherRujhaan Publications
Synopsisसात समंदर पार ... मेरी अम्मा स्व सरस्वती प्रसाद जी की कलम का जादू है । बचपन के खेल, परतंत्र राष्ट्र के प्रति उनके वक्तव्य उनकी कल्पना को उजागर करते हैं । यह कहानी मैंने कितनी बार पढ़ी, कितनों को सुनाई ... मुझे ख़ुद याद नहीं... लेकिन जितनी बार इस कथा-यात्रा से गुज़री , बचपन, देश, प्रेम और आँसुओं की बाढ़ मुझे बहा ले गई! इस निरन्तर यात्रा के बाद मुझे एहसास हुआ कि क्यों उन्हें कविवर पन्त ने अपनी मानस पुत्री के रूप में स्वीकार किया! क्यों उन्होंने अपनी पुस्तक लोकायतन की पहली प्रति की पहली हक़दार समझा. मेरा कुछ भी कहना एक पुत्री के शब्द हो सकते हैं, किन्तु मेरी बात की प्रामाणिकता 'सात समन्दर पार" को पढ़े बिना नहीं सिद्ध होने वाली. तो मेरे अनुरोध पर....... सात समंदर पार को पढ़िए, और कुछ देर के लिए सुमी-सुधाकर बन जाइये । रश्मि प्रभा