Welcome Back !To keep connected with uslogin with your personal info
Login
Sign-up
Login
Create Account
Submit
Enter OTP
Step 2
Prev
Home Nonfiction Reference Work Hamare Lokpriya Geetkar : Dushyant Kumar
Enjoying reading this book?
Hamare Lokpriya Geetkar : Dushyant Kumar
by
4.8
4.8 out of 5
Creators
Author
PublisherVani Prakashan
EditorSherjung Garg
Synopsisहिन्दी कविता में ऐसा बहुत-बहुत कम हुआ है कि कोई रचनाकार अपने लेखन की शुरूआत गीतों से करे, फिर नयी कविता लिखने की दिशा में मुड़ जाये और युगीन आकांक्षाओं, विडंबनाओं और मनःस्थितियों का चित्रण करके विपुल यश अर्जित करने के बाद पुनः गीत की एक शैली ग़ज़ल कहते हुए सफलता के शिखरों का स्पर्श करके सारे परिदृश्य की सूरत ही बदल डाले। दुष्यन्त कुमार ने कुछ ऐसा ही हंगामा खड़ा करके सम्पूर्ण साहित्य जगत को चौंका दिया। पहले पहल दुष्यन्त ने ‘धर्मयुग’ एवं ‘सारिका’ के माध्यम से अपनी ग़ज़लों में युगीन तड़प का अंकल किया और कविता के सामान्य एवं प्रबुद्ध पाठकों को चकित और विस्मित भी किया।