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Aawaz Chali Aati Haiby Shaz tamakanat |
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Author | Synopsis |
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‘आवाज़ चली आती है’ दखन के सुप्रसिद्ध शायर शाज़ तमकनत का काव्य संग्रह है। इस संग्रह में उनकी प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों का चुनाव किया गया है। आधुनिक उर्दू कविता में शाज़ तमकनत अपने समय के सुप्रसिद्ध कवियों में स्वयं को दर्ज करवाते हैं। दखन के नामी-गिरामी शायरों में शाज़ का शुमार होता है। पारम्परिक और आधुनिक कविता के बीच जिस सेतु का निर्माण शाज़ तमकनत ने किया वह स्वयं में एक युग की स्वीकृति लिये हुए है। इनकी ग़ज़लों और नज़्मों में जहाँ निजी ज़िन्दगी के दुख-दर्द दिखाई देते हैं वहीं उनका दुख सार्वजनीन आत्मचेतना के रूप में अनुभव किया जा सकता है। यहीं ग़मे जानां और ग़मे दौरा दोनों का संगम शाज़ के रचना संसार की पहचान बनकर उभरता है और 21वीं सदी में उर्दू साहित्य के जरिये शायरी के क्षेत्र में एक आवाज़ चली आती है।
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