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Jo Kinara Tha Kabhi
by Laxaman dubey
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Home›Literature›Poetry ›Jo Kinara Tha Kabhi
Author |
Synopsis |
Not Available
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ये ग़ज़ले एक सीधे-सच्चे इंसान के बनने-टूटते सपनों, व्यक्ति और समाज के टकराव और कदम-कदम पर विसंगतियों के फैलाव की एक जैसी दास्तान सुनाती हैं जो हँसाती भी है, रुलाती भी है और सोये हुए क्रोध को जगाती भी है। लक्ष्मण दुबे की ग़ज़ल में बड़ी रवानी है, मगर जितनी रवानी है, उतना तूफ़ान भी है। आपका जी चाहे नाव की तरह तैरिये, जी चाहे थ़पेडों का मज़ा लीजिये, मगर फैसला किताब पढ़ने के बाद कीजिये।
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