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Tees Baras Baad: Maiby Hasan jamal |
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Author | Synopsis |
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मौलिक दृष्टि का परिचायक ‘तीस बरस बाद : मैं’ लेखक हसन जमाल के पास कहानी को कहने का अपना एक अलग निजी मुहावरा है। चीजों को नये ढंग से देखने का तरीका और अपने आसपास घटने वाली घटनाओं और चरित्रों को वे जिस किस्सागोई अन्दाज़ में अभिव्यक्त करते हैं, वह उनकी अपनी मौलिक दृष्टि का परिचायक है। हसन जी की हमारे आसपास की कहानी लिखते हैं। न कोई बड़े दावे, न फ़तवे, न लादे गये निर्णय और न किसी आन्दोलन से सीधा जुड़ाव। परिवार, समाज, राजनीति, छूत-अछूत, घात-प्रतिघात, प्रेम या तात्कालिक कोई समस्या जो समाज को विचलित किये हुए हो, हसन जी कहानियों के विषय होते हैं। किसी विचार के आवरण से परे वो ठोस जीवन को आधार बनाते हैं, यही उनके लेखन की विशेषता है।हों। यही नहीं लघुकथाओं में टेलीविजन मीडिया की अंदरूनी गन्दगी को भी लेखक ने स्पष्टता के साथ प्रस्तुत किया है ।
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