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Sajjan Dharmendra
बचपन से ही कल्पानाशील रहे सज्जन धर्मेन्द्र को कहानियाँ लड़कपन से ही सम्मोहित करती रही हैं। इनकी पहली कहानी ‘आँखों के साँप’ जुलाई २०१२ में ऑनलाइन पत्रिका सृजनगाथा में प्रकाशित हुई एवं दूसरी प्रकाशित कहानी ‘ऩफरत’ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से वर्ष २०१६ में प्रकाशित ‘नवलेखन हिन्दी कहानियाँ’ में संकलित है। ‘द हिप्नोटिस्ट’ इनका पहला कहानी संग्रह है। धर्मेन्द्र की कहानियों की मुख्य विशेषता कथावस्तु की विविधता है जो चार पन्नों से लेकर चालीस पन्नों तक और जादुई यथार्थ से लेकर विज्ञान फंतासी तक फैली हुई है। ज्ञान-विज्ञान में गहरी रुचि होने के कारण इनकी कहानियों में प्रगतिशीलता स्वाभाविक रूप से मौजूद है और इनकी कहानियाँ समाज में व्याप्त रूढ़ियों और अन्धविश्वासों पर गहरी चोट करती हैं।